अपने इश्क़ का हिसाब माँगती है...!!
मेरी मोहब्बत शायरी में जवाब माँगती है...!!!!
“आज खुद को इतना तन्हा महसूस किया,
जैसे लोग हमें दफ़नाकर चले गये हो।”
बहोत आये, बहोत गए
तुम से बहोत है इस शहर में
बस तुम ही अकेले हो,
जो अनजान हो हर किसी की खबर से।
मुहब्बत भी कम हो जाती है, जब किसी और को दरमियां आने देते है,
जरुरी है किसी आने देना, नहीं तो ज़िन्दगी, मुहब्बत और ईमान लोग सब खो देते है
सब मिटा दें दिल से, हैं जितनी उसमें ख्वाहिशें,
गर हमें मालूम हो कुछ उसकी ख्वाहिश और है।
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