मेरी हर सांस में तुम हो हर धड़कन तेरे नाम की छेड़ के मुझको क्यों जलते
हो मेरी जां को जब मेरी जान तुम हो….
मेरे लबों की मुस्कान मेरी खुशियों कि दुकान इस दिल का अरमान तुम हो.
ओढ़ के सो जाऊं मैं उन्न रास्तों को ..
जिन पर कभी तू मेरे साथ चला था ..
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का...
अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं...!!
तुझसे ही हर सुबह हो मेरी,
तुझसे ही हर शाम,
कुछ ऐसा रिश्ता बन गया हैं तुझसे,
की हर साँसों में सिर्फ तेरा ही नाम।
मुहोब्बत करना चाहते हो तुम?
काँटो पर चलना तो सीखो ।
इबादत करना चाहते हो तुम?
जनाब, उस काबिल तो बनो।
अधूरी हसरतों का आज भी इल्जाम है तुम पर,,
अगर तुम चाहते हैं तो ये मोहब्बत खत्म ना होती..!
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