ग़िला जो मैं करूँ तो नाराज़ होते हो क्यों,है इश्क़ तुमसे, तो मेरा हक़ भी वाज़िब हैग़िला जो मैं करूँ तो नाराज़ होते हो क्यों,है इश्क़ तुमसे, तो मेरा हक़ भी वाज़िब है......
इश्क ओ होता हे जिसमें कोई हक नहीं होता....
नहीं तो सरेआम कोई ऐसा अकेला नहीं छोड़ता.....!!!
मौत हो जाए ताल्लुक़ की तो मिट्टी डालिए,
देर तक घर में जनाज़ा नहीं रखा करते ...
वो मेरे घर नहीं आता में उसके घर नहीं जाता मगर इन एहतियातों से ताल्लुक़ मर नहीं जाता
जो हाँथ तक लगाने को बे-अदबी समझती थी,
वो गले से लगा कर रोई थी बिछड़ने से पहले।
अब मुझे चारो और दिखाई देता हैँ धुआँ ही धुआँ
और
अकेला सिर्फ तू हैँ जिसने मेरे दिल ❤️को दर्द दिया
इश्क ओ होता हे जिसमें कोई हक नहीं होता....
नहीं तो सरेआम कोई ऐसा अकेला नहीं छोड़ता.....!!!
तुम मिल गए तो गुलशन की तरह खिल जायेंगे,
तुम ना मिले तो जीते जी ही मर जायेंगे,
तुम्हें जो पा लिया तो मर कर भी जी जायेंगे।
कुछ नये रंग है मोहब्बत के कुछ
पूराने सम्भाल के रखे है,
हमने दिल की किताब में तेरे सारे
वादे सम्भाल के रखे है..!!
तबियत खराब कर देती है हवा सरसरी ,
बच कर रहना बड़ी बदमाश होती है फरवरी।
जैसे हर शायरी के पीछे एक राज होता है
उसी तरह मेरे दर्द के पीछे भी एक राज है
जिसे मैं सब को बताना चाहता हूं लेकिन यार छुपाना भी चाहता हूं
इसीलिए तो मैं शायरी बना देता हूं
तुम्हें मांगा है कितना....
कभी ये मत पूछना..
कभी आना मेरे शहर में
मंदिर के धागे अपने आप बता देंगे....
मै हर वक्त क्यों उसे याद कर कर रोता रहता हूं
अरे कोई उसे भी बताओ जाकर
मै उसके लिए रात दिन तड़पता रहता हूं...✍️Kadir की किताब से
इस दर्द को हम सह नहीं सकते
जो जख्म दिए है उसने उन्हें कह नहीं सकते
आप शायर है बयाँ करेंगे लफ़्ज़ों से
पर वो समझ नही पाएंगे
क्योकि प्यार थोड़ी किया था सच्चे दिल से
तैरकर पार भी आ सकते थे दरिया से मगर,
इश्क़ लहरों से हुआ था तो डूबना ही था ।
बड़ी शिद्दत से बेखौफ मोहब्बत की थी मैंने
अब वह हमारी मोहब्बत को ना समझे तो इसमें मेरी खता क्या
तैरकर पार भी आ सकते थे दरिया से मगर,
कम्बख्त
इश्क़ लहरों से हुआ तो डूबना तो तेय ही था...✍️
मेरी उम्र लग जाए उन्हें,
मेरा सुकून जिनसे है।
मेरी उम्र लग जाए उन्हें,
💔😐💔
मुझ से जुदा होने पर
सुकून मिला जिन्हे 💔
ताउम्र जीना चाहते हैं उनके साथ
अपनी उम्र अगर दे दी उन्हें तो क्या खाक जिएंगे उनके साथ
पंडित रूद्र प्रताप
इतनी ख़ूबसूरती से क्या खूब लिहाज़
रखते हैं हम दोनो अपनी मोहब्बत का..
दिल की कोई भी बात कहनी हो तो
शायरी-शायरी खेलते हैं ...
मोहब्बत का इजहार उनसे कभी कर ना पाए
यह तो शायरी की मेहरबानी है जो दिल का हाल उन्हें समझा पाए
मैंने इस खौफ़ से फूल नहीं लिखा उसको ...
अगर वो मुरझा गई तो मेरी जान पे बन जाएगी ।
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