हमने तो नफरतों से ही सुर्खियाँ बटोर ली जनाब,
सोचो अगर वो भी महोब्बत कर लेते तो क्या होता I
😊😊🙈❤️
फिज़ा में महकती शाम हो तुम,
प्यार में झलकता ज़ाम हो तुम,
सीने में छुपाये फिरते है हम यादें तुम्हारी...
इसलिये मेरी जिंदगी का दूसरा नाम हो तुम...
हम सहल-तलब कौन से फ़रहाद थे लेकिन
अब शहर में तेरे कोई हम सा भी कहाँ है
ये कैसा सिलसिला है तेरे और मेरे दरमियाँ,
फासले तो बहुत हैं मोहब्बत कम नहीं होती।
जिन बातों को सुनना तक बार-ए-ख़ातिर था
आज उन्हीं बातों से दिल बहलाए हुए हूँ
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