तेरे शहर से गुज़र रहा हूँ,
क्या बताऊं क्या गुज़र रही है।
केसे भूल जाएं हम वो तर्ज़े मोहब्बत
वो तुम्हारा गुस्से में भी हमें आप कहना
जब भी वो मेरी गली से गुजरता है🏍
क्या बताऊ मेरे दिल पर क्या गुजरती है❤️
साक़ी तेरी शराब हमको और तिश्ना कर गयी !
ये कैसी शराब तुमने दी,बिना चढ़े उतर गयी !!
आये गए तूफाँ कई, कायम रहा पर हौसला !
आया हवा का एक झोंका ज़िन्दगी बदल गयी !!
दिल में तेरी चाहत और होठों पे नाम तेरा !
अपनी तो सारी ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र गयी !!
सिर्फ एक बार चूमा था महबूब के होठों को
लोगो ने बस्ती से निकाल दिया शराबी कहके..
काश कुछ ऐसा होता तेरे होंठ जहरीले होते ,हम उन्हें चुम कर मर जाते !!
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